शुक्लयजुर्वेद-संहिता<> उव्वटभाष्य<>—
‘संस्कारोज्ज्वलनार्थं हितं च पथ्यं च पुन:
पुनरुपदिश्यमानं न दोषाय भवतीति’
(1। 21 )
‘संस्कारोंको उद्बुद्ध करनेके उद्देश्यसे हित तथा पथ्यकी बातका बार-बार उपदेश करनेमें कोई दोष नहीं है।’
गीता अध्याय 9 श्लोक 27और अध्याय 12 श्लोक 12 का स्वाध्याय लाभदायक है।
जब कोई व्यक्ति आपको उकसाने की कोशिश करता है, तो आपको अपने अहंकार को नियंत्रण में रखना चाहिए और शांत रहना चाहिए। यदि आप आसानी से नाराज हो जाते हैं, तो आप दूसरों के द्वारा आसानी से नियंत्रित किए जा सकते हैं।
कथन यह भी बताता है कि हमारे अधिकांश विचार और भावनाएं हमारे स्वयं के नहीं हैं। वे हमारे आसपास की दुनिया और हमारे द्वारा सुनी गई बातों से आती हैं। हालांकि, हम अपने दिमाग को प्रशिक्षित कर सकते हैं कि हम कैसे सोचते हैं और महसूस करते हैं। हम मनोवैज्ञानिक रूप से खुद को धोखा दे सकते हैं और खुशी चुन सकते हैं।
यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप कैसे अपने अहंकार को नियंत्रण में रख सकते हैं और खुशी चुन सकते हैं:
- आत्म-जागरूकता विकसित करें। अपने विचारों और भावनाओं को पहचानना सीखें। जब आप नाराज हो रहे हों, तो अपने आप से पूछें कि आप ऐसा क्यों महसूस कर रहे हैं।
- अपने विचारों और भावनाओं को चुनौती दें। क्या वे वास्तव में सच हैं? क्या वे तर्कसंगत हैं?
- अपने दृष्टिकोण को बदलें। किसी स्थिति को अलग-अलग तरीके से देखने की कोशिश करें।
- धन्यवादी रहें। आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए आभारी रहें।
- दयालु और करुणावान बनें। दूसरों के प्रति दयालु और करुणावान होने से आपको भी बेहतर महसूस होगा।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि खुशी एक चुनाव है। आप हमेशा खुशी का चुनाव कर सकते हैं, भले ही आपके जीवन में मुश्किलें हों।🙏
सबसे पहले, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि जब कोई हमें उकसाने की कोशिश करता है, तो वह आमतौर पर हमारी प्रतिक्रिया को देखना चाहता है। यदि हम आसानी से नाराज हो जाते हैं, तो हम उनके लिए एक आसान लक्ष्य बन जाते हैं। इसलिए, जब कोई हमें उकसाता है, तो अपने अहंकार को बंद करना और शांत रहना महत्वपूर्ण है।
दूसरा, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हमारे अधिकांश विचार और भावनाएं हमारी अपनी नहीं हैं। वे हमारे आसपास की दुनिया और हमारे द्वारा देखी जाने वाली चीजों के प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होती हैं। इसका मतलब है कि हम अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए अपने दिमाग को प्रशिक्षित कर सकते हैं।
अंत में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि खुशी एक विकल्प है। हम खुशी का अनुभव करने के लिए चुन सकते हैं, भले ही हमारे आसपास की दुनिया में कुछ भी न हो। इसलिए, जब हम चुनते हैं कि खुशी पर ध्यान दें, तो हम अपने दिमाग को धोखा दे सकते हैं और एक बेहतर मूड में आ सकते हैं।
यहाँ कुछ विशिष्ट तरीके दिए गए हैं जिनसे आप इन युक्तियों को लागू कर सकते हैं:
- जब कोई आपको उकसाता है, तो एक गहरी सांस लें और अपने आप से पूछें कि आप क्यों नाराज हो रहे हैं। क्या यह वास्तव में उस व्यक्ति या उस चीज़ के कारण है जिसे वे कह रहे हैं? या क्या यह आपके अपने अहंकार या डर के कारण है?
- अपने विचारों और भावनाओं को स्वीकार करें, लेकिन उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश न करें। बस उन्हें जाने दें और आगे बढ़ें।
- अपने दिन में छोटी-छोटी चीजों के लिए धन्यवाद करें। इससे आपको सकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी।
इन युक्तियों का अभ्यास करके, आप अपने जीवन में अधिक शांति और खुशी ला सकते हैं।🙏
व्यक्ति को अपने अहंकार को बंद कर देना चाहिए। अहंकार वह भावना है जो हमें खुद को दूसरों से बेहतर समझने का कारण बनती है। जब हम अपने अहंकार को बंद कर देते हैं, तो हम दूसरों के विचारों और भावनाओं को अधिक आसानी से समझ सकते हैं। इससे हमें उकसाने के प्रयासों को पहचानने और उनसे बचने में मदद मिल सकती है।
यदि हम आसानी से नाराज हो जाते हैं, तो हमें आसानी से धोखा दिया जा सकता है। जब हम नाराज होते हैं, तो हम अपनी भावनाओं के नियंत्रण में नहीं होते हैं। हम जल्दबाजी में निर्णय ले सकते हैं और गलतियां कर सकते हैं। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने अहंकार को नियंत्रण में रखें और आसानी से नाराज न हों।
अधिकांश विचार और भावनाएं हमारी अपनी नहीं होती हैं। वे हमारे पूर्वाग्रहों, विश्वासों और अनुभवों से प्रभावित होती हैं। हम अपने दिमाग को प्रशिक्षित करके इन विचारों और भावनाओं को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, हम अपने दिमाग को यह सिखा सकते हैं कि किसी स्थिति को सकारात्मक तरीके से देखें।
खुशी चुनने में दिमाग लगाना चाहिए। खुशी एक मानसिक स्थिति है। हम खुशी का अनुभव तभी कर सकते हैं जब हम अपने दिमाग को सकारात्मक विचारों और भावनाओं पर केंद्रित रखें।
इस कथन से हमें कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं। सबसे पहले, हमें दूसरों के उकसाने के प्रयासों से सावधान रहना चाहिए। दूसरा, हमें अपने अहंकार को नियंत्रण में रखना चाहिए और आसानी से नाराज नहीं होना चाहिए। तीसरा, हमें अपने दिमाग को प्रशिक्षित करके अपने विचारों और भावनाओं को बदलना चाहिए। चौथा, हमें खुशी चुनने में दिमाग लगाना चाहिए।
यहां कुछ अतिरिक्त विचार दिए गए हैं जो इस कथन के साथ संबंधित हो सकते हैं:
- हम अपने दिमाग को प्रशिक्षित करके अपने विचारों और भावनाओं को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, हम अपने दिमाग को यह सिखा सकते हैं कि किसी स्थिति को सकारात्मक तरीके से देखें।
- खुशी एक मानसिक स्थिति है। हम खुशी का अनुभव तभी कर सकते हैं जब हम अपने दिमाग को सकारात्मक विचारों और भावनाओं पर केंद्रित रखें।
- हम अपने जीवन में खुशी को बढ़ावा देने के लिए कई चीजें कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं:
- स्वस्थ जीवन शैली जीना
- समर्थन प्रणाली बनाना
- अपने लक्ष्यों के लिए काम करना
- नए अनुभवों का आनंद लेना
- आत्म-जागरूकता विकसित करें🙏🙏
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