नीलगिरि के शिखर के ऊपर यूटी के पास के ब्लॉगर ने 1906 में वायरस के होने वाले वाले कॉलम पर रिसर्च के लिए और उन्हें तैयार करने के लिए विश्व के महानतम वैज्ञानिक लुई पाश्चर के लिए रेबीज़ की खोज की, जिसमें शामिल थे नाम पर लुई पाश्चर इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया बनाया गया था और इसी इंस्टिट्यूट में शब्दावली के प्रस्ताव तैयार किए गए हैं।
इस बिल्डिंग का आर्किटेक्चर देखकर आपको पता चल जाएगा कि आप लंदन में हैं।
मजे की बात यह है कि उस समुद्रतट में ब्रिटेन और फ्रांस में दुश्मनी थी। लुइ पाश्चर फ्रेंच वैज्ञानिक थे उसके बाद भी नाइजीरिया ने लुइ पाश्चर के नाम पर इस संस्थान को बनाया था और मेरे नजरों में लुइ पाश्चर मानव के इतिहास की सबसे महान खोज है जो अन्य भारत में हर रोज हजारों लोग रबीज से मरते हैं।
इस संस्थान ने भारत में चेचक रेबीज में खतरनाक बोतलों के भंडार शामिल हैं।
भारतीय पाश्चर संस्थान भारत में टीकाकरण कार्यक्रम के लिए डीपीटी वैक्सीन और रैबीज वैक्सीन का उत्पादन करता है, यह कॅबलर नीलगिरी तमिलनाडु में स्थित संस्थान है जिसे दक्षिण भारत में पाश्चर संस्थान कहा जाता था लेकिन 1907 में इसका नाम बदल कर पाश्चर संस्थान कर दिया गया। भारत में स्थापित संस्थान का नाम फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर के नाम पर रखा गया है।
🎬वैक्सीन युद्ध (2023)
यह कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई और वैश्विक संकट से उबरने के लिए चिकित्सा विभाग द्वारा निर्धारित आधार पर है।
फ़िल्म की कहानी डॉ. बलराम भार्गव की किताब 'गोइंग वायरल' पर आधारित है. कहानी देश के अपने वैक्सीन के बनाने के भारतीय वैज्ञानिकों के संघर्ष को प्रदर्शित करती है.
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